• परिचय
    एक देश, एक चुनाव’ का प्रस्ताव भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। इसका उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने का है।
  • बीजेपी का दृष्टिकोण
    • बीजेपी का मानना है कि इससे चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकेगा और बार-बार चुनावों के कारण होने वाले व्यवधानों को कम किया जा सकेगा।
    • पार्टी का कहना है कि इससे विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा, क्योंकि चुनावी माहौल में विकास कार्य प्रभावित होते हैं।
  • हालिया घटनाक्रम
    • हाल ही में, लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल पेश किया गया। इस दौरान बीजेपी के 20 सांसद अनुपस्थित रहे, जिससे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में नाराजगी देखी गई।
    • बीजेपी ने इन सांसदों को नोटिस भेजा है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा है।
  • विपक्ष की प्रतिक्रिया
    • विपक्षी दलों का कहना है कि यह सरकार का तानाशाही कदम है और इससे लोकतंत्र को खतरा हो सकता है।
    • कई दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है, जबकि कुछ ने समर्थन भी दिया है।
  • संविधान संशोधन की आवश्यकता
    • इस विधेयक को लागू करने के लिए संविधान में कई संशोधन करने की आवश्यकता होगी। इसमें अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन शामिल हैं।
    • विधेयक को संसद से पास कराने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होगी, जिसमें कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी है।
  • भविष्य की संभावनाएँ
    • यदि यह विधेयक पारित होता है, तो 2029 से सभी चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं।
    • इसके लिए सरकार को व्यापक समर्थन जुटाना होगा, जिसमें विपक्षी दलों का सहयोग भी आवश्यक होगा।

निष्कर्ष
‘एक देश, एक चुनाव’ का प्रस्ताव बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है, लेकिन इसे लागू करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया और संविधान में आवश्यक संशोधनों की प्रक्रिया इस प्रस्ताव के भविष्य को निर्धारित करेगी।

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